चुनाव नतीजाें में सत्ता की चाबी बसपा, सपा और निर्दलीयों के पास। भाजपा सरकार के कई मंत्री धराशायी।
भोपाल। पन्द्रह साल पुरानी भाजपा सरकार को पीछे धकेलते हुए कांग्रेस ने सत्ता का वनवास आखिरकार समाप्त कर ही लिया। कांटे के मुकाबले के बाद कांग्रेस ने भाजपा से पांच सीटों की बढ़त हासिल करते हुए बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के सहारे सत्ता की राह तलाश ली। देर रात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया।
बुधवार को पार्टी विधायक दल की भोपाल में बैठक होगी जिसमें नए नेता का चयन किया जाएगा। मंगलवार को हुई मतगणना में रात बारह बजे तक भाजपा और कांग्रेस दोनों बहुमत से दूर थे। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।
रात एक बजे तक की स्थिति में घोषित परिणाम और रुझान मिलाकर कांग्रेस 114 पर पहुंच गई थी जबकि पिछली बार 166 सीट जीतकर सरकार बनाने वाली भाजपा 109 सीटों पर सिमट चुकी थी। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुदनी विधानसभा सीट से विजयी हुए, जबकि उनके मंत्रिमंडल के लगभग एक दर्जन सदस्यों को करारी हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी एवं अरुण यादव जैसे दिग्गजों को भी पराजय का स्वाद चखना पड़ा। मंगलवार सुबह आठ बजे मतगणना शुरू होने से लेकर दोपहर बाद तीन बजे तक भाजपा और कांग्रेस के बीच बढ़त का आंकड़ा एक से दो सीटों का रहा, लेकिन अपरान्ह चार बजे के बाद कांग्रेस निर्णायक बढ़त की ओर बढ़ती चली गई। कई सीटें ऐसी रहीं, जहां अंतिम समय तक अनिर्णय की स्थिति बनी रही।
एक दर्जन मंत्रियों ने चखा पराजय का स्वाद
शिवराज सरकार के लगभग एक दर्जन मंत्रियों को इस बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। कई मंत्री ऐसे भी रहे, जो पहले राउंड से पिछड़ते रहे और अंत में पराजित हो गए। ऐसे मंत्रियों में ओमप्रकाश धुर्वे, लालसिंह आर्य, दीपक जोशी, अर्चना चिटनीस, जयभान सिंह पवैया, ललिता यादव, अंतरसिंह आर्य, रुस्तम सिंह, शरद जैन उमाशंकर गुप्ता, बालकृष्ण पाटीदार, के नाम मुख्य हैं।
कुछ मंत्री जैसे जयंत मलैया, नारायण् कुशवाह की भी पराजय हो चुकी है लेकिन परिणामों को रोक लिया गया। इसके अलावा भाजपा के कई दिग्गज नेता भी चुनावी वैतरणी पार नहीं कर पाए। इनमें सांसद अनूप मिश्रा, पूर्व मंत्री रंजना बघेल, पांच बार की विधायक रहीं निर्मला भूरिया, चौधरी राकेश सिंह, चौधरी चंद्रभान सिंह, प्रेमनारायण ठाकुर, सुदर्शन गुप्ता, केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के पुत्र जीतेन्द्र गेहलोत के नाम मुख्य हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में भाजपा का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। वहां की चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने विजय का डंका बजाया है। जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के छिंदवाड़ा में आठ में से सात पर कांग्रेस सफल रही। एक पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने परचम लहराया।भोपाल में जहां पिछली बार कांग्रेस की मात्र एक सीट थी, वहां कांग्रेस को एक सीट का फायदा हुआ है।
कांग्रेस के दिग्गजों को भी देखना पड़ा हार का मुंह
एक तरफ कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के कई ऐसे चहेरे हैं जो सरकार या विधानसभा में नहीं दिखेंगे। इनमें सबसे बड़ा नाम नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह का है।
सिंह 1990 से लगातार विधायक हैं। विंध्य में पार्टी के मजबूत स्तंभ सिंह परंपरागत चुरहट विधानसभा सीट से भाजपा के शरदेंदु तिवारी के हाथों परास्त हो चुके हैं । कांग्रेस की सरकार में अजय सिंह को महत्वपूर्ण स्थान पर देखा जा रहा था। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी चुनाव हार गए हैं। उन्हें शिवराज सरकार में मंत्री रहे सुरेन्द्र पटवा ने बड़ी शिकस्त दी है। विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भी चुनाव हार गए हैं।
सिंह अमरपाटन से मैदान में थे, जहां उन्हें भाजपा के रामखिलावन पटेल ने पराजित किया। एक अन्य दिग्गज नेता मुकेश नायक भी इस बार चुनाव हार गए हैं। नायक को भाजपा में हाल ही में शामिल हुए प्रहलाद लोधी ने पवई सीट से परास्त किया है।
इसके अलावा कार्यवाहक अध्यक्ष सुरेन्द्र चौधरी, रामनिवास रावत, पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा, सुभाष सोजतिया,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, विधायक सुंदरलाल तिवारी भी चुनाव नहीं जीत पाए। हाल ही में भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री सरताज सिंह बतौर कांग्रेस उम्मीदवार होशंगाबाद से चुनाव हार गए हैं।