दतिया। दतिया में कालेज की टीम एवं डक्टरों के आ जाने से गम्भीर मरीजो सफल ऑपरेशन एवं पुनः जीवनदान की आस जागने लगी है। हालही में मेडिकल कालेज की टीम ने एक दुर्लभ एव अनोखा केस के ऑपरेशन में सफलता हासिल की है। जिससे युवक पेट में दिन प्रति बढ़ रही खोखली गठान ( तिल्ली के अन्दर पनप कृमि ) बिना तिल्ली को बाहर निकाले सफल बनाया है।सफल ऑपरेशन होने युवक मरीज को आराम मिला और वह इसे नया जीवनदान समझ रहा है, क्योंकि ऐसे केसों मरीज की जान को जोखिम बना रहता है। अभी कुछ दिन पहले दतिया मेडिकल कॉलेज के डॉ हेमंत कुमार जैन सहायक प्राध्यापक मेडिसिन ने तिल्ली की हायडेटिड सिस्ट बीमारी को खोजा था, जो भारतवर्ष की सबसे बड़ी सिस्ट थी।
आज 29 मई को मेडिकल कॉलेज की टीम ने जिसमें सर्जन प्रोफेसर डॉ के एन आर्य , सहायक प्राध्यापक डॉ ब्रजेन्द्र स्वरूप , डॉ राजेश बादल , एनेस्थेसिया टीम में डॉ भारत वर्मा , एवं नर्सिंग स्टाफ में ज्योति शर्मा नर्सिंग इंचार्ज शामिल थे। ऑपरेशन में लोकेन्द्र की तिल्ली में पनप रहा कृमि को बिना तिल्ली को निकाले बाहर निकाल दिया है । आपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर है। इसमे डॉ हेमंत जैन का कहना है कि मरीज की जान को खतरा बहुत था। अगर थोड़ा सा भी कृमि का तरल अगर शरीर में फेल जाता तो मरीज की जान पर बन आती। परंतु चिकित्सको की महारत और सावधानी ने ओपरेशन को सफल बनाया। वही सर्जन डॉ के एन आर्य का कहना है की ये केस हमारे लिए एक चुनोती था जिसे हमारी टीम ने पूरा किया है। अर्जन डॉ ब्रजेन्द्र स्वरूप का कहना है कि इस केस को ऑपरेट करने के बाद के दतिया और दतिया के मेडिकल कॉलेज का नाम देश भर में प्रसिद्ध होगा क्यों कि इतनी बड़ी तिल्ली की सिस्ट भारत बर्ष में नही मिली है। यह केस अपने आपमे अनोखा केस है। जिसमे टीम को सफलता मिली और मरीज को नया जीवन मिला है।