
मुुरैना- श्रीमद् भागवत कथा के अवसर पर काव्यांचल समूह का युवा कवि सम्मेलन परीक्षत पुरा तहसील पोरसा में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व मंच संचालक के तौर पर डॉ. सुधीर आचार्य उपस्थित रहे ।मंचासीन अन्य अतिथियों में बालकृष्ण शर्मा , देव गुर्जर ,दुष्यंत तोमर व संदीप सिंह विशेष रूप से उपस्थि रहे। कार्यक्रम का आरंभ अध्यक्षता कर रहे रवि तोमर रजौधा की सरस्वती वंदना से हुआ। संतोष शर्मा नज़ीर ने गजल कुछ यूं पढ़ी- “जिधर देखो उधर खड़े हैं सब लगाने वाले, अब कहां मिलते हैं आग बुझाने वाले लोग!”
श्वेतांग चौहान ने “मर्यादा अपनानी होगी ,मर्यादित कहलाना होगा ;अवगुण त्याग दशानन के, राम को अंतर लाना होगा” पढ़कर श्रीराम के स्वरूप को परिभाषित किया।
हेमंत तोमर ने माननीय कोर्ट के आदेश के सम्मान में पढ़ा- “जिंदगी जिंदा रहे जिंदादिली जिंदा रहे ,
मस्जिद बने मंदिर बने यह फैसला जिंदा रहे!”
अपने ओजस्वी तेवर व बगावती स्वर के लिए पहचाने जाने वाले विपिन कुमार साहिल ने
“न चूड़ी न कंगन न जेवर लिखेंगे, हम जो भी लिखेंगे अपने तेवर में लिखेंगे” पढ़कर उपस्थित जनमानस में चेतना का संचार किया।
संजेश शर्मा ने राजनीति पर परिहास करते हुए पढ़ा, ” उगा डाली करोड़ों की गोभियां तुमने छज्जों पर।
मुझे भी अब उगाना है मेरा दालान बाकी है!” श्रीराम पर इनका कालजयी गीत अद्भुत रहा।
ग्राम्य जीवन व आंचलिक परिवेश की महक लिए “प्यार अपनेपन का जीवन गांवों में ,इस शहर में घर बनाकर क्या मिला” पंक्तियां पढ़कर रवि तोमर रजौधा ने सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों व बदलती परिस्थितियों को इंगित किया।
यतेंद्र सिंह सिकरवार ने अवैध रेत खनन , माफिया राज व प्रशासनिक संलिप्तता पर हास्य व्यंग्य के माध्यम से प्रहार किया। “पेड़ काटकर रेल चलाओगे , बड़ा पछताओगे बडा पछताओगे” गीत के द्वारा मंच व उपस्थित श्रोताओं का एक महत्वपूर्ण समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।
शैलेंद्र सिंह तोमर ने अभिमन्यु पर आधारित अपनी रचना ” बढ़ चला अंतिम चरण को द्वार व्यूह के भेद कर” का पाठ कर वरिष्ठ व युवा श्रोताओं को ऐतिहासिक नायक से रूबरू कराया।
मंच संचालन कर रहे डॉक्टर सुधीर आचार्य ने अपने संक्षिप्त काव्य पाठ में सभी के काव्य पाठ की सराहना की और उज्जवल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम के दौरान बाचाराम सिंह तोमर, गिर्राज चौहान व बड़ी संख्या में बच्चों, युवाओं, बुज़ुर्गों तथा माता-बहनों की उपस्थिति रही।
धीरेन्द्र सिंह तोमर की विविध रचनाओं ने कार्यक्रम रूपी यज्ञ को अंतिम आहुति प्रदान की। उपस्थित कवि कुल व श्रोता समूह के आभार प्रदर्शन के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।