
अभी कुछ दिनों पहले की घटना है एक महिला सब इंस्पेक्टर के पटवारी पति ने हॉस्पिटल में जमीन पर ही दम तोड़ दिया उसके पति को बेड भी नहीं मिल सका ना ही कोई इलाज वह महिला उपनिरीक्षक अपने दो मासूम बच्चों के साथ रोती बिलखती रही लेकिन किसी का भी ध्यान उसकी ओर नहीं गया यह घटना निश्चित रूप से सतह को विचलित करने वाली है आज आज समाज पुलिस से सरकार की अपेक्षा करता है और कहीं ना कहीं पुलिस समाज के साथ विकट से विकट स्थितियों में भी अंगद की तरह पर रोक के खड़ी रहती है अपनी जान की परवाह न करके देश और समाज के सुरक्षा में तत्पर रहती है 24 घण्टे 7 दिन काम करती है बगैर छुट्टी बगैर रुके देश और समाज के रक्षा में 24 घंटे लगी रहती है क्या समाज का या समाज के लोगों का राजनीति कारों का यह कर्तव्य नहीं बनता है कि वह भी हमारे पुलिस परिवार के बारे में कुछ सोच है हमारे पुलिस परिवार की तरफ उनका भी ध्यान जाए कि यह भी इंसान है हमारे समाज का ही एक हिस्सा है दुख तकलीफ इनको भी होती है जिन समस्याओं से समाज को गुजरना पड़ता है उन्हीं समस्याओं से इनको भी गुजरना पड़ता है इनके परिवार को भी गुजरना पड़ता है क्या उनके मन में यह विचार नहीं आता है कि पुलिस परिवार के बच्चों के लिए भी अलग से स्कूल होना चाहिए पुलिस परिवार के सदस्यों के इलाज के लिए अलग से एक हॉस्पिटल की व्यवस्था होना चाहिए हॉस्पिटल की अगर व्यवस्था ना करना संभव हो तो कम से कम कुछ बेड हमारे परिवार के सदस्यों के लिए इमरजेंसी में डीजल होना चाहिए क्योंकि सबसे ज्यादा रिक्स जोन में जो परिवार रहता है वह पुलिस परिवार रहता है क्योंकि पुलिस परिवार के सदस्य 24 घंटे रिक्स जॉन में ड्यूटी करते हैं उनके संक्रमण की सबसे ज्यादा संभावना होती है और उनसे उनके परिवार में भी संक्रमण फैलने की संभावना रहती है और अभी तक देखा भी है विगत 10 से 12 महीनों में हमारे परिवार के कई सदस्यों की संक्रमण के कारण मृत्यु भी हुई है बस यही कहना चाहती हूं कि इन लोगों का समाज के कर्ताधर्ता ओं का ध्यान हमारे पुलिस परिवार की ओर भी जाए तथा हमारे पुलिस परिवार के सदस्यों के लिए भी अलग से स्कूल हॉस्पिटल एवं कैंटीन की सुविधा की जाए जिससे की हमारा मनोबल बढ़े साथ ही परिवार की तरफ से थोड़ा सा हम लोग भी चिंता मुक्त रहें और ज्यादा उत्साह और ऊर्जा के साथ अपने कार्यों का निर्वहन कर सकें जय हिंद जय भारत
त्रिवेणी राजावत – उप निरीक्षक